जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कुछ इस प्रकार है, ये हिन्दी कवी, उपन्यासकार, नाटककार, कहानीकार और निबन्ध-लेखक थे प्रसाद जी का जन्म 30 जनवरी सन 1889 को वाराणसी मे हुआ था। इनके पिता बाबू देवीप्रसाद का काशी मे बड़ा सम्मान था, काशी के नागरिक ‘हर हर महादेव’ से बाबू देवीप्रसाद का स्वागत करते थे। बचपन मे ही जयशंकर प्रसाद के पिता की मृत्यु होने के कारण परिवार की ज़िम्मेदारी का बोझ इनके कान्धो पर आगया था।
जयशंकर परसाद की जीवनी
शंकर जी की प्रारंभिक शिक्षा काशी के क्वींस कालेज में हुई थी और सातवें दर्जे तक ही वे वहाँ पढ़ पाये, उसके बाद आपकी ने घर पर ही हिन्दी, उर्दू संस्कृत, पाली, व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। प्रसाद जी के प्रारंभिक शिक्षक श्री मोहिनीलाल गुप्त थे जिंका उपनाम ‘रसमय सिद्ध’ था। शिक्षक के रूप में वे बहुत प्रसिद्ध थे। चेतगंज के प्राचीन दलहट्टा मोहल्ले में उनकी अपनी छोटी सी बाल पाठशाला थी। मोहिनीलाल गुप्त जी ने जयशंकर जी को शुरुवाती शिक्षा दी तथा संस्कृत और हिंदी में अच्छी प्रगति करा दी। हमने जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय बहुत सरल शब्दो मे करने की कोशिश की है, इस लिए इसे पूरा ज़रूर पढ्न।
जयशंकर जी प्रारंभ से ही कला और साहित्य मे रुचि रखते थे और ये भी कहा जाता हैं कि नौ वर्ष की उम्र में ही उन्हेने ब्रजभाषा में ‘कलाधर’ के नाम से एक सवैया लिखकर रसमय सिद्ध को दिखाया था। इसके अलावा जयशंकर जी को भोजन बनाने और बाग-बगीचो का बहुत शोक रखते थे। वे रोज़ाना कसरत करनेवाले, अच्छे खान-पान एवं गंभीर प्रकृति के व्यक्ति थे।
आपकी पहली कविता ‘सावक पंचक’ सन 1906 में कलाधर नाम से प्रकाशित हुई थी। प्रसाद जी रोज़ाना गीता का पाठ करते थे, लेकिन वे संस्कृत में गीता पढ़ते ही नही थे। बल्कि गीता के आशय से अपने जीवन को जीना अधिक आवश्यक मानते थे। जयशंकर जी जीवन के अंत मे क्षय रोग से पीड़ित हो गए थे जिसके लिए उन्होने लंबे समय तक होमियोपैथिक और कुछ दिनो तक आयुर्वेदिक तरीको से इलाज करने के बावजूद क्षय रोग से छुटकारा न पा सके और अंत मे 15 नवम्बर 1937 को काशी मे इंका देहांत होगया।
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय
- पूरा नान – महाकवि जयशंकर प्रसाद
- जन्म स्थान – वाराणसी, काशी के गोवर्धनसराय – उत्तर प्रदेश
- जन्म – 30 जनवरी 1889
- मृत्यु – 15 नवम्बर 1937
- पत्नी का नाम – कमला देवी
- पिता का नाम -बाबू देवीप्रसाद
- माता का नाम – श्रीमती मुन्नी देवी
- भाषा शैली – ब्रज भाषा, खड़ीबोली
जयशंकर प्रसाद का साहित्य परिचय
जयशंकर प्रसाद के जीवन परिचय मे इनके साहित्य का परिचय होना भी बहुत आवश्यक है, इसी लिए हमने इसके बारे मे भी बताया है। द्विवेदी युग से अपनी काव्ये रचना की शुरुआत करने वाले जयशंकर परसाद को महा कवि कहा जाता है, इसके अलावा इन्हे छायावादी काव्ये के जन्म दाता ओर छायावादी युग के प्रवर्तक भी माना जाता है। जयशंकर परसाद छायावादी युग के सबसे बड़े कवि रहे है, सोन्दर्ये ओर प्रेम को इनके काव्ये का मुख्य विषय माना गया है। लेकिन कविताओं मे इनका नजरया सिर्फ मानवता वादी देखने को मिलता है।
कहा जाता है की जयशंकर प्रसाद ने अपनी कविताओं मे गहरे तजरबों का रहस्यवादी रूप शुरू किया, इसी लिए हिन्दी के काव्ये जगत मे एक नई क्रांति को उत्पन्न कर दिया। जयशंकर की इसी नई सोच ने एक नए युग की शुरुआत की, ओर इस युग को छायावादी युग के नाम से पहचान मिली।
जयशंकर प्रसाद की भाषा शैली
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय मे इनकी भाषा शेली का अलग ही महत्व माना जाता है। वेसे तो इन्होने अपनी कविताओं को लिखने की शुरुआत ब्रजभाषा से की थी, इएकिन आगे चलकर जयशंकर प्रसाद जी ने खड़ी बोली मे कविताएं लिखना शुरू किया। बाद मे खड़ी बोली की भाषा शेली लिखना इनको पसंद आने लगा ओर आगे चलकर इन्होने इस शेली मे भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
जयशंकर प्रसाद की रचना मे खास तोर से विचारात्मक, भावनात्मक ओर चित्रात्मक भाषा शैली का प्रयोग किया गया है। इनकी शैली इतनी सरल ओर मीठी थी की इनको पढ़ने मे सबको मज़ा आता था, इतना ही नहीं इनकी भाषा शैली को समझना भी बेहद आसान था। हमे उम्मीद है आपको जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय पढ़ने मे मज़ा आ रहा होगा, ओर आसानी से समझ भी अरहा होगा अगर आपको कुछ समझ पाने मे परेशानी हो तो हमे कमेन्ट केआर के बताए हम उसमे ज़रूर सुधार करेंगे।
जयशंकर प्रसाद के उपन्यास के नाम
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय मे इनके इन सभी उपन्यास के बारे मे जान्ना बेहद जाजूरी है, इसी लिए हमने इनके बारे मे इस लेख मे बताया है। जयशंकर प्रसाद के सभी उपनन्यास को हिन्दी जगत मे बेहद महत्वपूर्ण माना गया है, इनहोने अपने जीवन काल मे बहुत से उपनन्यास लिखे जिनके नाम कुछ इस प्रकार हैं।
जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं
बात अगर जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं की करें को, इनके दुवारा लिखी गई ररचनाएं कुछ इस प्रकार हैं।
- कामायनी : इसे महा काव्ये ओर छायावादी काव्ये का कीर्ति स्तम्भ कहा जाता है।
- आँसू : ये काव्ये वियोग पर आधारित है।
- चित्राधार : ये काव्ये सग्रह जयशंकर परसद जी की ब्रजभाषा मे रचा गया है।
- लहर : इसे प्रसाद जी की भावात्मक कविताओं का संग्रह कहा जाता है।
- झरना : इसे जयशंकर प्रसाद की छायावादी कविताओं का संग्रह कहा जाता है।
जयशंकर प्रसाद की प्रमुख कविताएं
जयशंकर प्रसाद की प्रमुख कविताएं इस प्रकार है।
- आँसू
- सौन्दर्य
- अरुण यह मधुमय देश हमारा
- आह ! वेदना मिली विदाई
- सब जीवन बीता जाता है
- असंतोष
- भारत महिमा
- हिमाद्रि तुंग शृंग से
- अशोक की चिन्ता
जयशंकर प्रसाद की प्रथम कहानी
अगर आपसे ये सवाल किया जाता है की, जयशंकर प्रसाद की प्रथम कविता कोनसी है, तो इनके दुवारा लिखी गई प्रथम कविता ग्राम है। जय शंकर प्रसाद जी ने इस कविता को 1912ई मे लिखा जिसे इन्दु ने प्रकाशित किया था।
जयशंकर प्रसाद के नाटकों का नाम
बात अगर जय शंकर परसाद का जीवन परिचय की आए ओर इनके द्वारा लिखे गए नाटको के बारे मे ना बता जाए, तो इंका जीवन परिचय अधूरा रेह जाता है। इसी लिए हमने इनके द्वारा लिखे गए सभी नाटकों के नाम बताए हैं, जो इस प्रकार हैं।
जयशंकर प्रसाद के नाटकों के नाम
- सज्जन
- जनमेजय का नागयज्ञ
- परिणय
- ध्रुवस्वामिनी
- करुणालय
- प्रायश्चित
- चंद्रगुप्त
- राज्यश्री
- अजातशत्रु
- कल्याणी
- कामना
- स्कंदगुप्त
- अग्निमित्र
- विशाख
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 10 pdf
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 12 pdf
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कैसे लिखा जाता है?
जयशंकर परसद का जीवन परिचय लिखने के लिए, इनके जन्म, मृत्यु, पिताका नाम, मटा का नाम जन्म स्थान ओर इनके जीवन के संघर्ष के बारे मे लिख कर जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय दिया जा सकता है। इसके अलावा आप रचनाएं, भाषाशैली, नाटक, उपन्यास, कहानी संग्रह, निबंद आदि के बारे मे भी लिख सकते हो।
जयशंकर प्रसाद की सभी रचनाएं कौन कौन सी हैं?
जयशंकर प्रसाद की रचनाएं कुछ इस प्रकार हैं, आँसू, कामायनी, चित्राधार, लहर, ओर झरना।
जयशंकर प्रसाद की सर्वश्रेष्ठ रचना कौन सी है?
जयशंकर प्रसाद की आँसू को इनकी सबसे परसिद्ध रचना कहा जा सकता है।
जयशंकर प्रसाद का जन्म कब हुआ जीवन परिचय?
जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी सन 1889 को वाराणसी मे हुआ था।
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